"नई नौबहार" साझा कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये साझा कविता संग्रह साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती है। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृति में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै शनै चलते रहने का विश्वास नहीं खोएगा!
Compiled by : Mr. Rupesh Kumar
ISBN : 978-81-947731-1-5
Published by : Creativity United Publication